छालो से हैं परेशान ? अपनाएं ये आसान घरेलु उपचार | 15 best Home remedies for ulcer in Hindi
Home remedies for ulcer : पेट में अल्सर क्यों होता है? कहीं आप भी तो नज़रअंदाज़ नहीं कर रहे?
कभी-कभी पेट में जलन होती है, खाना खाने के बाद भारीपन लगता है, या खट्टी डकारें आती हैं — हम सोचते हैं, चलो गैस होगी, थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा। लेकिन यही बातें आगे चलकर बीमारी बन सकती हैं। पेट का अल्सर भी कुछ ऐसा ही है — जो धीरे-धीरे बढ़ता है और जब तक पता चलता है, परेशानी बढ़ चुकी होती है।
भागदौड़ भरी ज़िंदगी, तनाव, गड़बड़ खानपान और देर से सोने की आदतें — सब मिलकर पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं। यहीं से शुरू होती है अल्सर की कहानी।
इस लेख में हम बात करेंगे कि अल्सर क्या होता है, ये क्यों होता है, इसके लक्षण क्या हैं, और अगर हो जाए तो घरेलू इलाज से इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
अगर आपको या किसी अपने को पेट की समस्या रहती है, तो ये जानकारी काम आ सकती है। चलिए, समझते हैं इस बीमारी को जड़ से — ताकि इलाज सटीक हो।
अल्सर के लिए 15 असरदार घरेलु उपचार-
1. हल्दी वाला दूध
सूजन को खत्म करने वाला अमृत
हल्दी सिर्फ एक मसाला ही नहीं है बल्कि ये एक प्राकृतिक औषधि भी है । हल्दी करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो शरीर की सूजन को कम करने एवं घाव भरने में सहायक होता है। अल्सर की स्थिति में, रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पीना बहुत लाभकारी होता है। यह दूध न केवल पेट की परत पर एक सुरक्षा लेयर बनाता है, बल्कि नींद को भी बेहतर करता है, जो शरीर के हीलिंग प्रोसेस में मदद करता है।
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शुद्ध शहद और तुलसी एक साथ मिल जाएं तो ये शरीर के अंदर एक शांत वातावरण बना देते हैं। शहद की मिठास और तुलसी की औषधीय ताकत अल्सर के कारण बनने वाले संक्रमण को रोकती है। रोज़ सुबह खाली पेट 4-5 तुलसी की पत्तियां चबाकर ऊपर से एक चम्मच शहद लें। यह मिश्रण पेट में सूजन और एसिडिटी को शांत करता है, और बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है।
3. मुलेठी का चूर्ण
पेट को ढकने वाली सुरक्षा परत
मुलेठी एक मीठा, शांत करने वाला औषधीय जड़ है जो पेट की परत को हानिकारक एसिड से बचाता है। 1/2 चम्मच मुलेठी चूर्ण को एक कप गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं। नियमित सेवन से पेट में जैल जैसी परत बनती है जो अल्सर को और बढ़ने से रोकती है। ध्यान दें, गर्भवती महिलाएं इसका सेवन डॉक्टर से सलाह लेकर करें।
4. नारियल पानी
प्राकृतिक ठंडक और पोषण
अल्सर के मरीजों को ऐसी चीजों की ज़रूरत होती है जो पेट की गर्मी को शांत करें। नारियल पानी इस मामले में सर्वोत्तम है। दिन में दो बार नारियल पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है और पेट के अम्ल का स्तर कंट्रोल में रहता है। इसमें पोटैशियम और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो पेट के ज़ख्मों को भरने में हेल्प करते हैं।

5. एलोवेरा जूस
अंदर से हीलिंग की शुरुआत
एलोवेरा का इस्तेमाल त्वचा के साथ साथ पेट की बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है, एलोवेरा का रस पेट की बीमारियों के लिए चमत्कारी माना जाता है। 2 चम्मच एलोवेरा जूस सुबह खाली पेट लेना चाहिए। यह पेट की सूजन को कम करने के साथ – साथ आंतरिक घावों को धीरे-धीरे भरने में सहायता करता है। एलोवेरा का जूस सिर्फ फ्रेश और प्रिज़र्वेटिव-फ्री ही इस्तेमाल करें।
6. ठंडी छाछ और सौंफ
एसिड से राहत का देसी तरीका
छाछ में प्रॉबायोटिक गुण होते हैं और सौंफ में एंटी-एसिड तत्व। ये मिलकर पेट में एसिडिटी को नियंत्रित करते हैं और अल्सर की जलन को शांत करते हैं। एक गिलास ठंडी छाछ में आधा चम्मच सौंफ का चूर्ण मिलाएं और दिन में दो बार लें। इसके नियमित सेवन से पेट हल्का और शांत महसूस होता है।
7. पत्तागोभी का रस
विटामिन U का असर
पत्तागोभी को उबालकर उसका ताजा रस निकालें और रोज़ सुबह खाली पेट एक कप पिएं। इसमें पाया जाने वाला विटामिन U अल्सर की आंतरिक परत को जल्दी भरने में सहायक होता है। सप्ताह भर के सेवन से ही पेट की जलन और दर्द में फर्क दिखता है। इसका सेवन खाली पेट करें, तभी पूरा लाभ मिलेगा।
8. केला
प्राकृतिक सुरक्षा कवच
केला न केवल पेट को ठंडक देता है, बल्कि उसमें मौजूद पेक्टिन और फाइबर पेट की आंतरिक परत को सुरक्षित रखते हैं। यह भोजन को ठीक से पचने में मदद करता है और पेट की परत पर एक नरम कवर बना देता है। दिन में दो बार – सुबह और शाम – पका हुआ केला खाने से अल्सर में राहत मिलती है।
9. लहसुन
बैक्टीरिया पर सीधा वार
लहसुन में सल्फर युक्त यौगिक होते हैं जो पेट में हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। सुबह खाली पेट 1-2 लहसुन की कलियाँ चबाकर गुनगुना पानी पिएं। यह उपाय खासकर H. pylori बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी है, जो अल्सर का मुख्य कारण बनता है।
10. अदरक की चाय
पेट का मित्र
अदरक एक एंटीइंफ्लेमेटरी औषधि है जो न केवल सर्दी-जुकाम बल्कि पेट की बीमारियों में भी राहत देती है। एक कप पानी में अदरक के कुछ टुकड़े उबालें, छानकर पिएं। यह चाय गैस, एसिडिटी और उल्टी जैसी समस्याओं को कम करती है और पाचन को सुधारती है।
11. गाजर और खीरे का जूस
दोहरी ठंडक, दोहरी राहत
गाजर में बीटा-कैरोटीन होता है जो अल्सर के घाव को भरने में मदद करता है, और खीरा शरीर की गर्मी को शांत करता है। इन दोनों का मिश्रित रस बनाएं और दिन में एक बार पिएं। इसका नियमित सेवन न केवल पाचन सुधारता है बल्कि पेट को ठंडा और संतुलित रखता है।
12. कच्चा नारियल
सादगी में शक्ति
कच्चा नारियल खाना अल्सर पीड़ितों के लिए एक सुपरफूड जैसा है। इसमें हेल्दी फैट और मिनरल्स होते हैं जो पेट को ठंडक देते हैं और घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करते हैं। इसे नाश्ते या दोपहर के भोजन के बीच खाया जा सकता है।
13. त्रिफला चूर्ण
पाचन सुधारक त्रिदेव
त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) पेट की सफाई करता है और पाचन क्रिया को संतुलित करता है। 1/2 चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ लें। यह पेट की गर्मी, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं को खत्म करता है – जो अल्सर को बढ़ावा देती हैं।
14. मेथी बीज का पानी
आंतरिक लेप
मेथी बीज म्यूकिलेज तत्व से भरपूर होते हैं, जो पेट की दीवार पर एक जैल जैसा सुरक्षा कवच बना देते हैं। एक चम्मच मेथी बीज को रातभर भिगो दें और सुबह उसका पानी पी लें। यह उपाय खासकर सुबह की जलन और पेट के दर्द में बहुत राहत देता है।
15. कच्चा पपीता
पाचन के लिए आदर्श फल
कच्चा पपीता पाचन एंजाइम्स से भरपूर होता है जो पेट के भोजन को जल्दी और अच्छी तरह पचाता है। जब खाना सही से पचेगा, तो अम्ल नहीं बनेगा और अल्सर बढ़ेगा नहीं। इसका हल्का उबला हुआ सलाद या थोड़ा सा रस दिन में एक बार लें।
अल्सर से जुड़ी कुछ खास बातें और सलाह-
1. खाना चबाकर खाएं – जल्दबाज़ी पेट के लिए सबसे बड़ी सज़ा है।2. रात में देर तक खाना न खाएं, और खाने के तुरंत बाद ना लेटें।3. हमेशा ताज़ा और घर का बना खाना खाएं।अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न- HOME REMEDIES FOR ULCER
अल्सर का घरेलू इलाज, सिर्फ उपायों की लिस्ट नहीं है। यह एक सोच है – अपने शरीर को समझने, उसकी ज़रूरतों को सुनने और दवाइयों से पहले प्राकृतिक उपचार पर भरोसा करने की। यदि आप थोड़ी सावधानी बरतें, सही खानपान अपनाएं और हर दिन कुछ मिनट खुद को दें – तो अल्सर सिर्फ याद बनकर रह जाएगा
source:
Ayush मंत्रालयHealthline on Peptic UlcerDiscover more from Health ka Pitara
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